देश बढ़ा हैं प्रगति के पथ पर
अमीर हुआ हैं और अमीर गरीब हुआ है और गरीब
फिर कहाँ आया है बदलाब
तो सामने आओ
करो युद्ध की तैयारी
परिवर्तन की तैयारी
अपने चूल्हे की राख को निकालो
अंगीठी सुलगाओ
आग लगाओ
ये सूखे घास को जला दो
जो अमीर हुये हैं और अमीर
उनको समझा दो
चलो आग लगा दो
आग की पहली उष्मा को ख़ुद झेलो
जल जाओ आग में
निखर कर सामने आओ
एक परीक्षा पास कर
कुन्दन सा तन ले कर नहीं
फौलाद का सीना लेकर आओ
फिर उठाओ परिवर्तन का गदा
फूंक दो पांचजन्य संख
अमीर कौरवों के विरुद्ध
तो फिर करें हम युद्ध की तैयारी
आओ करे हम युद्ध की तैयारी
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About Me
- Mukul
- मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो सोचता बहुत हूँ पर करता कुछ भी नहीं हूँ. इस से अच्छा मेरा परिचय कुछ भी नहीं हो सकता है मैं खयालों की दुनिया में जीने वाला इन्सान हूँ . सच्चाई के पास रह कर भी दूर रहने की कोशिश करता हूँ अगर सच्चाई के पास रहूँगा तो शायद चैन से नहीं रह पाउँगा पर हर घड़ी सत्य की तलाश भी करता रहता हूँ . शायद आप को मेरी बातें विरोधाभाषी लग रही होगी पर सच्चाई यही हैं.. ये बात सिर्फ मुझ पर हीं नहीं लागू होती है शायद हम में से ज्यादातर लोगों पर लागू होती है. मैं तो गांव में पला -बढा ,शहर की बारीकियों से अनजान इक गंवई इन्सान हूँ जिसे ज्यादातर शहर के तौर तरीके पता नहीं हैं.
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