Thursday, May 15, 2008

भारत की अमीरी भाग -१

तो मैं कह रहा था की ये जो भारत की अमीरी मुझे थोड़ी सी क्षणभंगुर सी लग रही है। शायद मैं नकारात्मक बातें कर रहा हूँ पर ये बात मैं काफी सोच विचार कर कह रहा हूँ । जो भारत की मूल भूत संरचना हें वही कमजोर हो रही है जो भारत की रीढ़ की हड्डी हैं जो भारत के विकास के शिल्पी हैं वो आज भूख मरी के शिकार है । ये अमीरी और गरीबी के बीच की जो खाई है वो बढ़ती जा रही है तो आगे क्या होगा ? एक युद्ध एक क्रांति
इस नकारात्मक व्यवस्था के विरुद्ध !
फैलेगी एक अराजकता या नहीं तो फिर होगा राष्ट्र गुलाम
(आगे जारी रहेगा)

1 comment:

हरिमोहन सिंह said...

बिल्‍कुल मेरे मन की कही है आपने

About Me

मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो सोचता बहुत हूँ पर करता कुछ भी नहीं हूँ. इस से अच्छा मेरा परिचय कुछ भी नहीं हो सकता है मैं खयालों की दुनिया में जीने वाला इन्सान हूँ . सच्चाई के पास रह कर भी दूर रहने की कोशिश करता हूँ अगर सच्चाई के पास रहूँगा तो शायद चैन से नहीं रह पाउँगा पर हर घड़ी सत्य की तलाश भी करता रहता हूँ . शायद आप को मेरी बातें विरोधाभाषी लग रही होगी पर सच्चाई यही हैं.. ये बात सिर्फ मुझ पर हीं नहीं लागू होती है शायद हम में से ज्यादातर लोगों पर लागू होती है. मैं तो गांव में पला -बढा ,शहर की बारीकियों से अनजान इक गंवई इन्सान हूँ जिसे ज्यादातर शहर के तौर तरीके पता नहीं हैं.