बदलते वक्त की तक़दीर हो तुम । आने वाले कल की तस्वीर हो तुम । जो कभी नहीं हुआ है गुम , हवाओं, में वो अचूक तीर हो तुम। बदलते वक्त की तक़दीर हो तुम। काट दे जो बाधाओं की जंजीर, वो शमशीर हो तुम । माना की चलना नहीं सिखा है तुम ने , फिर भी , इश्वर के मुखबिर हो तुम । भाग्य की रेखाओं से दूर कर्म की सब से बड़ी लकीर हो तुम । कोई माने या न माने , सब से बड़े फकीर हो तुम। बदलते वक्त की तकदीर हो तुम।
(मुकुल)
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