Sunday, May 18, 2008

वक्त की तकदीर

बदलते वक्त की तक़दीर हो तुम । आने वाले कल की तस्वीर हो तुम । जो कभी नहीं हुआ है गुम , हवाओं, में वो अचूक तीर हो तुम। बदलते वक्त की तक़दीर हो तुम। काट दे जो बाधाओं की जंजीर, वो शमशीर हो तुम । माना की चलना नहीं सिखा है तुम ने , फिर भी , इश्वर के मुखबिर हो तुम । भाग्य की रेखाओं से दूर कर्म की सब से बड़ी लकीर हो तुम । कोई माने या न माने , सब से बड़े फकीर हो तुम। बदलते वक्त की तकदीर हो तुम।

(मुकुल)

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About Me

मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो सोचता बहुत हूँ पर करता कुछ भी नहीं हूँ. इस से अच्छा मेरा परिचय कुछ भी नहीं हो सकता है मैं खयालों की दुनिया में जीने वाला इन्सान हूँ . सच्चाई के पास रह कर भी दूर रहने की कोशिश करता हूँ अगर सच्चाई के पास रहूँगा तो शायद चैन से नहीं रह पाउँगा पर हर घड़ी सत्य की तलाश भी करता रहता हूँ . शायद आप को मेरी बातें विरोधाभाषी लग रही होगी पर सच्चाई यही हैं.. ये बात सिर्फ मुझ पर हीं नहीं लागू होती है शायद हम में से ज्यादातर लोगों पर लागू होती है. मैं तो गांव में पला -बढा ,शहर की बारीकियों से अनजान इक गंवई इन्सान हूँ जिसे ज्यादातर शहर के तौर तरीके पता नहीं हैं.