एक प्रश्न है मेरे पास , अपना देश कैसा हो ? बहुत पैसा हो, अमन-चैन हो । क्या हो अपने देश में? सब के अपने अपने विचार होंगे ,पर जहां तक मेरा मानना है की हमारे राष्ट्र के लोग शक्तिशाली हों। अपने राष्ट्र में कमजोर लोग कम से कम हों। मैं यह नहीं कह रहा हूँ की सारे लोग शारीरिक रूप से शक्तिशाली हों पर ये बात तो जरूर हो की कोई कमजोर नहीं हो।
मेरे मन में एक राष्ट्र की कल्पना है जो उर्जा के क्षेत्र में धनी हो॥
वो उर्जा जो भी हो...
:-) मानव की शारीरिक शक्ति के रूप में हो
:-) मानव की मानसिक शक्ति हो
:-) अध्यात्मिक शक्ति हो
:-) मानव की सामरिक शक्ति हो मतलब राष्ट्र की सामरिक शक्ति
:-) हर प्रकार की उर्जा जो राष्ट्र को आगे ले जाए
फिर अगर अपने देश का मानव स्वस्थ हो, दृढ़ निश्चयी हो तो बाकी सारी तरह की उर्जा की प्राप्ति हो सकती है।
जहां तक मानव के स्वस्थ होने की बात है इस के लिए हमें ,यानी हमारे राष्ट्र को क्या करना होगा॥
मैं चाहता हूँ की इस प्रश्न का उत्तर आप की तरफ से आए
(धन्यबाद)
सादर
मुकुल
Thursday, May 22, 2008
Sunday, May 18, 2008
http://savesuraj.blogspot.com/
कृपया इस ब्लॉग को पढे एवं यथा-सम्भव मदद करें।
ये आप सभी लोगों से मेरी गुजारिश हैं।
----------------------------------
ये सूरज है । इस सूरज के पास ७ घोड़े नहीं हैं। इस के पास एक भी घोड़ा नही है। क्या कर रहे हैं आप इस सूरज के लिए । इस सूरज के लिए कुछ घोड़े की तलाश है। आइये हम इस शुभ कार्य में मदद करें। सूरज के जीवन को राहू-केतु ने ग्रस लिया है। इस असमय सूर्य ग्रहण को दूर करना है। वैसे आसमान पे बादल छाए हैं पर आशा के इस सूरज को बचाना है और आप से हमारी गुजारिश हैं सविनय निवेदन कृपया मदद करिये ,
बस इतना ही कहना चाहता हूँ।
दोस्तों , एक माँ को उसका पुत्र मिलेगा, किसी को नया जीवन मिलेगा क्या आप को खुशी नहीं होगी?
ये आप सभी लोगों से मेरी गुजारिश हैं।
----------------------------------
ये सूरज है । इस सूरज के पास ७ घोड़े नहीं हैं। इस के पास एक भी घोड़ा नही है। क्या कर रहे हैं आप इस सूरज के लिए । इस सूरज के लिए कुछ घोड़े की तलाश है। आइये हम इस शुभ कार्य में मदद करें। सूरज के जीवन को राहू-केतु ने ग्रस लिया है। इस असमय सूर्य ग्रहण को दूर करना है। वैसे आसमान पे बादल छाए हैं पर आशा के इस सूरज को बचाना है और आप से हमारी गुजारिश हैं सविनय निवेदन कृपया मदद करिये ,
बस इतना ही कहना चाहता हूँ।
दोस्तों , एक माँ को उसका पुत्र मिलेगा, किसी को नया जीवन मिलेगा क्या आप को खुशी नहीं होगी?
वक्त की तकदीर
बदलते वक्त की तक़दीर हो तुम । आने वाले कल की तस्वीर हो तुम । जो कभी नहीं हुआ है गुम , हवाओं, में वो अचूक तीर हो तुम। बदलते वक्त की तक़दीर हो तुम। काट दे जो बाधाओं की जंजीर, वो शमशीर हो तुम । माना की चलना नहीं सिखा है तुम ने , फिर भी , इश्वर के मुखबिर हो तुम । भाग्य की रेखाओं से दूर कर्म की सब से बड़ी लकीर हो तुम । कोई माने या न माने , सब से बड़े फकीर हो तुम। बदलते वक्त की तकदीर हो तुम।
(मुकुल)
Thursday, May 15, 2008
कौन छोटा कौन बड़ा
एक आदमी था वो बहुत ही छोटे कद का था लोग उसे छोटू छोटू बोलते थे साब उसकी लम्बाई का मजाक उड़ा थे एक दिन कुछ ऐसा हुआ की वो एक बहुत ऊँचे पहाड़ पर चढ़ गया फिर वो क्या देखता है की सब कुछ बहुत छोटे छोटे नजर आ रहे हैं । फिर उस ने सोंचा की कौन छोटा कौन बड़ा
(~मुकुल)
(~मुकुल)
वो लोग जिंदा नहीं हैं.
जिनके विचारों में धार नहीं हैं
जिनके विचारों में शान नही हैं
वो जिंदा कहाँ हैं
जहां बहती नहीं नए विचारों की सरिता
अगर आप के आस पास है बस छोटा सा तालाब
तो लगी चुकी है आप के विचारों को ज़ंग
और दुनिया को ज़ंग लगे औजारों की कोई जरूरत नही है
तो वो लोग जिंदा नही हैं
जिनके विचारों में शान नही हैं
तीव्रता नही है
वो मर चुके हैं
जिंदा हो कर भी
वो लोग जिंदा नही है
जिनके विचारों में शान नही हैं
वो जिंदा कहाँ हैं
जहां बहती नहीं नए विचारों की सरिता
अगर आप के आस पास है बस छोटा सा तालाब
तो लगी चुकी है आप के विचारों को ज़ंग
और दुनिया को ज़ंग लगे औजारों की कोई जरूरत नही है
तो वो लोग जिंदा नही हैं
जिनके विचारों में शान नही हैं
तीव्रता नही है
वो मर चुके हैं
जिंदा हो कर भी
वो लोग जिंदा नही है
भारत की अमीरी भाग -१
तो मैं कह रहा था की ये जो भारत की अमीरी मुझे थोड़ी सी क्षणभंगुर सी लग रही है। शायद मैं नकारात्मक बातें कर रहा हूँ पर ये बात मैं काफी सोच विचार कर कह रहा हूँ । जो भारत की मूल भूत संरचना हें वही कमजोर हो रही है जो भारत की रीढ़ की हड्डी हैं जो भारत के विकास के शिल्पी हैं वो आज भूख मरी के शिकार है । ये अमीरी और गरीबी के बीच की जो खाई है वो बढ़ती जा रही है तो आगे क्या होगा ? एक युद्ध एक क्रांति
इस नकारात्मक व्यवस्था के विरुद्ध !
फैलेगी एक अराजकता या नहीं तो फिर होगा राष्ट्र गुलाम
(आगे जारी रहेगा)
इस नकारात्मक व्यवस्था के विरुद्ध !
फैलेगी एक अराजकता या नहीं तो फिर होगा राष्ट्र गुलाम
(आगे जारी रहेगा)
Monday, May 12, 2008
राह से भटकते नौजवान
अपने देश की ताकत युवा हैं ।भारत में और देशों के अपेक्षा जयादा युवा लोग हैं । यहाँ के लोगों की शायद अभी औसत उम्र ३५ वर्ष होगी तो क्या कहेंगे आप ? भारत नौजवानों का देश है या नही । हाँ है सचमुच में !
ये युवा लोग !!
ये युवा पीढी भटक रही है
गुमराह हो रही है
अपनी परम्पराओं को भूल रही है
चलिए कोई बात नहीं है
वक्त के साथ सब कुछ बदलता है
पर ये तो अच्छी बात नही है
अपने मजबूत कन्धों को कमजोर करना
अपने फेफड़ों में धुआं भरना
अपनी नसों में जहरीली दवाइयां भरना !!
खुद को खोखला करना
अपने माँ बाप की आंखों में आंसू भरना
ये राह से भटकते नौजवान !!
गुजारिश है तुम से !!!
लौट आओ तुम सही रास्ते पर
ये युवा लोग !!
ये युवा पीढी भटक रही है
गुमराह हो रही है
अपनी परम्पराओं को भूल रही है
चलिए कोई बात नहीं है
वक्त के साथ सब कुछ बदलता है
पर ये तो अच्छी बात नही है
अपने मजबूत कन्धों को कमजोर करना
अपने फेफड़ों में धुआं भरना
अपनी नसों में जहरीली दवाइयां भरना !!
खुद को खोखला करना
अपने माँ बाप की आंखों में आंसू भरना
ये राह से भटकते नौजवान !!
गुजारिश है तुम से !!!
लौट आओ तुम सही रास्ते पर
Sunday, May 11, 2008
भारत की अमीरी
आज हमारे देश के कई सारे लोगों का शुमार दुनिया के धनकुबेरों में होता हैं। थोड़ा मुझे आश्चर्य भी होता है ,खुशी भी होती है और कभी -कभी ये भी लगता है की क्या ये भारत की असली तस्वीर है शायद नहीं ।
मुझे भारत की इस अमीरी पर थोड़ा आश्चर्य भी होता है। कितने दिनों तक चलेगा ये सब
भारत की जो मूलभूत ताकत है वो कमजोर होती जा रही है। भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि पर जीने वाले लोग भूखों मर रहे हैं।
चाहे कोई भी राष्ट्र हो जिसकी मूल ताकत में घुन लग जाएगा वो जायदा दिनों तक प्रगति के पथ पर नही चल पायेगा।
मुझे लगता है की अगर किसी राष्ट्र को अपनी सम्प्नता बनाये रखनी है तो उस देश के किसानों को खुशहाल होना पड़ेगा क्यों की वो राष्ट्र की ताकत हैं।
(आगे जारी रहेगा)
मुझे भारत की इस अमीरी पर थोड़ा आश्चर्य भी होता है। कितने दिनों तक चलेगा ये सब
भारत की जो मूलभूत ताकत है वो कमजोर होती जा रही है। भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि पर जीने वाले लोग भूखों मर रहे हैं।
चाहे कोई भी राष्ट्र हो जिसकी मूल ताकत में घुन लग जाएगा वो जायदा दिनों तक प्रगति के पथ पर नही चल पायेगा।
मुझे लगता है की अगर किसी राष्ट्र को अपनी सम्प्नता बनाये रखनी है तो उस देश के किसानों को खुशहाल होना पड़ेगा क्यों की वो राष्ट्र की ताकत हैं।
(आगे जारी रहेगा)
Sunday, May 4, 2008
अब मुझे सो जाने दो
ऐ मेरे विचारों !!
अब मुझे सोने दो
जग करेंगे फिर तुम से बातें
अभी मुझे सोने दो
देखो नींद में मत आजाना
मुझे लेना हैं एक विराम
सोने में मुझे कोई विघ्न नहीं चाहिए
मुझे चाहिए एक निर्विघन नींद
मेरे पास नींद की गोली नहीं हैं
मैं एक मेहनत करने वाला हूँ इन्सान
शरीर हैं मेरा थक गया
ऐ मेरे विचारों !!
कुछ पलों के लिए दूर भाग जाओ
अब मुझे सो जाने दो
अब मुझे सोने दो
जग करेंगे फिर तुम से बातें
अभी मुझे सोने दो
देखो नींद में मत आजाना
मुझे लेना हैं एक विराम
सोने में मुझे कोई विघ्न नहीं चाहिए
मुझे चाहिए एक निर्विघन नींद
मेरे पास नींद की गोली नहीं हैं
मैं एक मेहनत करने वाला हूँ इन्सान
शरीर हैं मेरा थक गया
ऐ मेरे विचारों !!
कुछ पलों के लिए दूर भाग जाओ
अब मुझे सो जाने दो
अरसा बाद
अरसा बाद की ख़ुद से बातें
किया ख़ुद को दुलार
किया ख़ुद से मनुहार
अरसा बाद
खुली खुली आंखों से देखा है सपना
सपना में देखा हैं एक संच
सपना में देखा हैं इक झूठ
किया है ख़ुद से जो प्यार
जीवन की इस आपाधापी में
अरसा बाद
किया ख़ुद को दुलार
किया ख़ुद से मनुहार
अरसा बाद
खुली खुली आंखों से देखा है सपना
सपना में देखा हैं एक संच
सपना में देखा हैं इक झूठ
किया है ख़ुद से जो प्यार
जीवन की इस आपाधापी में
अरसा बाद
बांधों नही बंधू मुझे
कौन थैयाँ मेरा गाँव
मुझे नहीं पता
हेराया मेरा साज
मुझे नही पता
बांधों नही बंधू मुझे
बह जाने दो
किसी पेड़ की छैयाँ में सो जाने दो
हेराया मेरा साज
मुझे मेरा गाँव ढूंढ कर लाने दो
बांधों नही बंधू मुझे
मुझे पहाडिया की ऊँची चोटी पे जाने दो
वही एक पल गुजार कर
कहीं और मुझे जाने दो
मुझे नहीं पता
हेराया मेरा साज
मुझे नही पता
बांधों नही बंधू मुझे
बह जाने दो
किसी पेड़ की छैयाँ में सो जाने दो
हेराया मेरा साज
मुझे मेरा गाँव ढूंढ कर लाने दो
बांधों नही बंधू मुझे
मुझे पहाडिया की ऊँची चोटी पे जाने दो
वही एक पल गुजार कर
कहीं और मुझे जाने दो
सोया नहीं आज सारी रात
इस बात की चिंता है
कल बब्लू स्कूल कैसे जाएगा
परसों बिटिया की शादी कैसे होगी
सुबह चूल्हा कैसे जलेगा
यही सोंचता रहा सारी रात
मैं सोया नही सारी रात
कैसे चुकेगा महाजन का कर्जा उधार
कैसे बचेगी बब्लू के मम्मी की इज्जत
कब तक रहेगी छुपी हुई चिथड़े कपड़ो में
कई कौरव हैं आगे पीछे
दुसाशन जिम में अपनी body बना रहा है
सुयोधन के आदेश पे
तभी सोया नहीं हूँ सारी रात
जंगल भी कट गए हैं
कहाँ करूंगा अज्ञातवास
तभी सोया नही आज सारी रात
कल बब्लू स्कूल कैसे जाएगा
परसों बिटिया की शादी कैसे होगी
सुबह चूल्हा कैसे जलेगा
यही सोंचता रहा सारी रात
मैं सोया नही सारी रात
कैसे चुकेगा महाजन का कर्जा उधार
कैसे बचेगी बब्लू के मम्मी की इज्जत
कब तक रहेगी छुपी हुई चिथड़े कपड़ो में
कई कौरव हैं आगे पीछे
दुसाशन जिम में अपनी body बना रहा है
सुयोधन के आदेश पे
तभी सोया नहीं हूँ सारी रात
जंगल भी कट गए हैं
कहाँ करूंगा अज्ञातवास
तभी सोया नही आज सारी रात
चौराहे पर एक रेस
जैसे ही होती है लालबत्ती
रुक जाती हैं ज्यादातर गाडीयां
रुकी हुई गाड़ियों में भी लगी है एक रेस
कब हो बत्ती हरी
भाग जाऊँ
हर कोई हो रहा है एक दूसरे से आगे
जैसे की १०० मीटर की रेस है
पावेल का रेकॉर्ड तोड़ना है
रुक जाती हैं ज्यादातर गाडीयां
रुकी हुई गाड़ियों में भी लगी है एक रेस
कब हो बत्ती हरी
भाग जाऊँ
हर कोई हो रहा है एक दूसरे से आगे
जैसे की १०० मीटर की रेस है
पावेल का रेकॉर्ड तोड़ना है
धर्मं का धुरा
जीवन एक धर्मं है
इस धर्म का एक धुरा है
इस धर्म धुरा का सारथी ...
एक अज्ञात शक्ति है
इस अज्ञात को ज्ञात बनाना भी जीवन का एक धर्मं है
इस धर्म का एक धुरा है
इस धर्म धुरा का सारथी ...
एक अज्ञात शक्ति है
इस अज्ञात को ज्ञात बनाना भी जीवन का एक धर्मं है
स्वागत है
ताजे विचारों का स्वागत है
खुले बांहों से स्वागत है
ताजे विचारों का स्वागत है
एक सत्यानावेशी का स्वागत है
एक कोलम्बस का स्वागत है
गैलीलियो आप फिर लौट कर आइये
आप का स्वागत है
ऐ नौजवानों !!
क्या तुम्हे भी सत्य की तलाश है
क्या तुम भी अपने ताजे विचारों के साथ आगे आना चाहते हो
तो आगे आओ !!
तुम्हारा स्वागत है
स्वागत है
खुले बांहों से स्वागत है
ताजे विचारों का स्वागत है
एक सत्यानावेशी का स्वागत है
एक कोलम्बस का स्वागत है
गैलीलियो आप फिर लौट कर आइये
आप का स्वागत है
ऐ नौजवानों !!
क्या तुम्हे भी सत्य की तलाश है
क्या तुम भी अपने ताजे विचारों के साथ आगे आना चाहते हो
तो आगे आओ !!
तुम्हारा स्वागत है
स्वागत है
नाम जो बदल गया
दुख होता है
नाम बदल गया है
पहचान बदल गयी है
असमय मौत हो गयी है एक नाम की
एक पहचान की
एक नाम था
उस कई करोड़ बच्चे थे
बच्चों ने उस नाम को मार दिया
उस को एक नया नाम दिया है
उधार लेकर इस पूरब के देश को
पश्चिम से उधार ले कर
थोड़ा out dated हो गया था नाम
एक नया नाम दिया है बच्चों ने
वो नाम कुछ देशी था
तो अब विदशी नाम दिया है
एक देशी नाम मर गया है
विदेशी नाम देश का नाम रौशन कर गया है
भारत अब इंडिया हो गया है
नाम बदल गया है
पहचान बदल गयी है
असमय मौत हो गयी है एक नाम की
एक पहचान की
एक नाम था
उस कई करोड़ बच्चे थे
बच्चों ने उस नाम को मार दिया
उस को एक नया नाम दिया है
उधार लेकर इस पूरब के देश को
पश्चिम से उधार ले कर
थोड़ा out dated हो गया था नाम
एक नया नाम दिया है बच्चों ने
वो नाम कुछ देशी था
तो अब विदशी नाम दिया है
एक देशी नाम मर गया है
विदेशी नाम देश का नाम रौशन कर गया है
भारत अब इंडिया हो गया है
सिमटती हुई दुनिया बिखरते हुए लोग
सच्ची बात है
ये बात सोलहों आने सच है
दुनिया सिमटी है और लोग बिखर गए हैं
और बिखरे हुए लोग एक एक कोने में सिमट गए हैं
ये बात सोलहों आने सच है
दुनिया सिमटी है और लोग बिखर गए हैं
और बिखरे हुए लोग एक एक कोने में सिमट गए हैं
कैद ....
जो जेल में बंद हैं वो कैदी हैं
जो जेल में बंद नहीं हैं ,उन को क्या कहेंगे
स्वतंत्र !!!
आजाद :::::
सचमुच ॥
भरोसा नहीं होता है
कितनी बार
आप कर पाते हैं आप अपने मन की भावनाओं को व्यक्त
उस को दे पाते हैं खुले आसमान में एक उन्मुक्त उड़ान
कई बार चाह कर भी नहीं
जयादातर बार नहीं
कभी सामाजिक परिवेश की दुहाई
कभी किसी अन्य उत्तरदायित्व का बोझ
इस खुले शरीर के साथ मन खुला नही है
वो है पूर्वाग्रहों से ग्रस्त
कसमसाता हुआ कैद में
तो कौन हुआ है कैदी
जो जेल में बंद हैं
या जो सड़को पे दौड़ लगा रहा है आपनी चाह के विरुद्ध
उत्तर आप के पास है
आप कैदी हैं या आजाद
जो जेल में बंद नहीं हैं ,उन को क्या कहेंगे
स्वतंत्र !!!
आजाद :::::
सचमुच ॥
भरोसा नहीं होता है
कितनी बार
आप कर पाते हैं आप अपने मन की भावनाओं को व्यक्त
उस को दे पाते हैं खुले आसमान में एक उन्मुक्त उड़ान
कई बार चाह कर भी नहीं
जयादातर बार नहीं
कभी सामाजिक परिवेश की दुहाई
कभी किसी अन्य उत्तरदायित्व का बोझ
इस खुले शरीर के साथ मन खुला नही है
वो है पूर्वाग्रहों से ग्रस्त
कसमसाता हुआ कैद में
तो कौन हुआ है कैदी
जो जेल में बंद हैं
या जो सड़को पे दौड़ लगा रहा है आपनी चाह के विरुद्ध
उत्तर आप के पास है
आप कैदी हैं या आजाद
आओ करें युद्ध की तैयारी ??
देश बढ़ा हैं प्रगति के पथ पर
अमीर हुआ हैं और अमीर गरीब हुआ है और गरीब
फिर कहाँ आया है बदलाब
तो सामने आओ
करो युद्ध की तैयारी
परिवर्तन की तैयारी
अपने चूल्हे की राख को निकालो
अंगीठी सुलगाओ
आग लगाओ
ये सूखे घास को जला दो
जो अमीर हुये हैं और अमीर
उनको समझा दो
चलो आग लगा दो
आग की पहली उष्मा को ख़ुद झेलो
जल जाओ आग में
निखर कर सामने आओ
एक परीक्षा पास कर
कुन्दन सा तन ले कर नहीं
फौलाद का सीना लेकर आओ
फिर उठाओ परिवर्तन का गदा
फूंक दो पांचजन्य संख
अमीर कौरवों के विरुद्ध
तो फिर करें हम युद्ध की तैयारी
आओ करे हम युद्ध की तैयारी
अमीर हुआ हैं और अमीर गरीब हुआ है और गरीब
फिर कहाँ आया है बदलाब
तो सामने आओ
करो युद्ध की तैयारी
परिवर्तन की तैयारी
अपने चूल्हे की राख को निकालो
अंगीठी सुलगाओ
आग लगाओ
ये सूखे घास को जला दो
जो अमीर हुये हैं और अमीर
उनको समझा दो
चलो आग लगा दो
आग की पहली उष्मा को ख़ुद झेलो
जल जाओ आग में
निखर कर सामने आओ
एक परीक्षा पास कर
कुन्दन सा तन ले कर नहीं
फौलाद का सीना लेकर आओ
फिर उठाओ परिवर्तन का गदा
फूंक दो पांचजन्य संख
अमीर कौरवों के विरुद्ध
तो फिर करें हम युद्ध की तैयारी
आओ करे हम युद्ध की तैयारी
पराये देश में ???
कुछ ताज्जुब नहीं हो रहा है आप को ये जान कर की मैं ये लिख रहा हूँ पराये देश में
अपने और पराये का भेद क्यों ? जहां भी रहो उस को ही अपना समझो
फिर भी हम क्यों अपना और पराये का भेद भाव करने लगेते हैं। इस के लिए मैं किसी व्यक्ति विशेष को दोष नहीं दूंगा क्यों की यह मानव की प्रवृति है जिस के साथ रहता है , जहां रहता है वहाँ के लोगों से , वहाँ की मिट्टी से खास लगाव तो हो ही जाता है। अगर आप को अपनी मिट्टी से , अपने देश के लोगों से नहीं लगाव है तो आप जरूर ही सामान्य मानव से अलग हैं। पर मुझे पता है की आप अपने इस बात का एहसाश किसी को नही होने देते हैं क्यों की मुझे समझ में आ गया हैं की आप इक बहुत बड़े राजनीतिज्ञ हैं । ये तो बहुत की गर्व की बात भी है।
आप का पहला एवं सर्वोपरी गुण होता है अपनी भावनाओं को छुपा कर रखना !
क्या आप ने कभी भी देखा आज के राज-नेताओं को अपनी मिट्टी से जुड़ते हुए
जब भी चुनाव का वक्त आता है वो अपने देश के, अपने राज्य के , अपने जिला के , अपने गावं के प्रतिनिधि बन जाते हैं। ऐसा लगता है की वो इसी मिट्टी के लिए जन्मे हैं और इस का विकास ही उन के जन्म का एक मात्र लक्ष्य है।
अपनी मंजिल को पाते ही वो भूल जाते हैं की उन्होंने पहले कुछ कहा था , कुछ सपने बुने थे लोगों के दिलों में।
फिर अगर बात करो तो बोलेंगे की मुझे तो सारे देश की चिंता है अगर मैं सिर्फ़ अपने प्रदेश के लोगों की बात सुनूंगा तो मुझे पे क्षेत्रीयता का आरोप लगेगा मैं तो देश और समाज से ऊपर उठ चुका हूँ और मैं अब विश्व कल्याण की बात सोचता हूँ । अगर मैं सम्पूर्ण मानव जाती के कल्याण मात्र में लग जाता हूँ तो आप लोगों का कल्याण ख़ुद व ख़ुद हो जाएगा आप चिंता न करें।
अगर आप के मन में भी ऐसी बातें हैं तो निकाल फेको क्षेत्रीय ही बन जाओ अपने ही लोगों का कल्याण करो बाकी लोगों का कल्याण ख़ुद व ख़ुद हो जाएगा॥ हाँ ये जरूर कहूँगा की अपनो का कलायन जरूर करना पर औरों का हक
मार कर नही।
मेरी सोंच ऐसी हैं की मैं इशारा करता हूँ बाकी आप समझदार हैं इनसां के लिए इशारा काफी है।
अपने और पराये का भेद क्यों ? जहां भी रहो उस को ही अपना समझो
फिर भी हम क्यों अपना और पराये का भेद भाव करने लगेते हैं। इस के लिए मैं किसी व्यक्ति विशेष को दोष नहीं दूंगा क्यों की यह मानव की प्रवृति है जिस के साथ रहता है , जहां रहता है वहाँ के लोगों से , वहाँ की मिट्टी से खास लगाव तो हो ही जाता है। अगर आप को अपनी मिट्टी से , अपने देश के लोगों से नहीं लगाव है तो आप जरूर ही सामान्य मानव से अलग हैं। पर मुझे पता है की आप अपने इस बात का एहसाश किसी को नही होने देते हैं क्यों की मुझे समझ में आ गया हैं की आप इक बहुत बड़े राजनीतिज्ञ हैं । ये तो बहुत की गर्व की बात भी है।
आप का पहला एवं सर्वोपरी गुण होता है अपनी भावनाओं को छुपा कर रखना !
क्या आप ने कभी भी देखा आज के राज-नेताओं को अपनी मिट्टी से जुड़ते हुए
जब भी चुनाव का वक्त आता है वो अपने देश के, अपने राज्य के , अपने जिला के , अपने गावं के प्रतिनिधि बन जाते हैं। ऐसा लगता है की वो इसी मिट्टी के लिए जन्मे हैं और इस का विकास ही उन के जन्म का एक मात्र लक्ष्य है।
अपनी मंजिल को पाते ही वो भूल जाते हैं की उन्होंने पहले कुछ कहा था , कुछ सपने बुने थे लोगों के दिलों में।
फिर अगर बात करो तो बोलेंगे की मुझे तो सारे देश की चिंता है अगर मैं सिर्फ़ अपने प्रदेश के लोगों की बात सुनूंगा तो मुझे पे क्षेत्रीयता का आरोप लगेगा मैं तो देश और समाज से ऊपर उठ चुका हूँ और मैं अब विश्व कल्याण की बात सोचता हूँ । अगर मैं सम्पूर्ण मानव जाती के कल्याण मात्र में लग जाता हूँ तो आप लोगों का कल्याण ख़ुद व ख़ुद हो जाएगा आप चिंता न करें।
अगर आप के मन में भी ऐसी बातें हैं तो निकाल फेको क्षेत्रीय ही बन जाओ अपने ही लोगों का कल्याण करो बाकी लोगों का कल्याण ख़ुद व ख़ुद हो जाएगा॥ हाँ ये जरूर कहूँगा की अपनो का कलायन जरूर करना पर औरों का हक
मार कर नही।
मेरी सोंच ऐसी हैं की मैं इशारा करता हूँ बाकी आप समझदार हैं इनसां के लिए इशारा काफी है।
Saturday, May 3, 2008
मन तो है बैतलवा!!
सच पूछिये तो मन इक बेताल है
कितनी बार हम सोंचेते हैं की ऐसा नहीं करना है ,ऐसा करना है उसके हिसाब से प्लानिंग करते हैं पर ऐसा हो पता हैं क्या शायद ऐसा नहीं हो पता है। पर कभी आप ने सोंचा है की ऐसा क्यों नहीं हो पता हैं ।
मन को कितना समझाओ बुझाओ पर समझाता कहाँ हैं ?
बुद्धी कहती है ऐसा करो, मन को समझती है बुझाती है ।
बुद्धी है राजा विक्रम व मन है बेताल ।
दोनों के बीच ज़ंग चलती रहती है ।
मन रुपी बेताल उड़ उड़ कर बरगद के पेड़ पर चला जाता है
और हम कह सकते है की फिर बैतलवा पेड़ पर !!!
कितनी बार हम सोंचेते हैं की ऐसा नहीं करना है ,ऐसा करना है उसके हिसाब से प्लानिंग करते हैं पर ऐसा हो पता हैं क्या शायद ऐसा नहीं हो पता है। पर कभी आप ने सोंचा है की ऐसा क्यों नहीं हो पता हैं ।
मन को कितना समझाओ बुझाओ पर समझाता कहाँ हैं ?
बुद्धी कहती है ऐसा करो, मन को समझती है बुझाती है ।
बुद्धी है राजा विक्रम व मन है बेताल ।
दोनों के बीच ज़ंग चलती रहती है ।
मन रुपी बेताल उड़ उड़ कर बरगद के पेड़ पर चला जाता है
और हम कह सकते है की फिर बैतलवा पेड़ पर !!!
Friday, May 2, 2008
इक नयी कोशिश !
बहुत दिनों से कुछ लिखा नही था तो मैं ने सोंचा की क्यों ना कुछ लिखा जाए !
तो ये है मेरी नयी कोशिश !
सब कहते हैं की दुनिया बदल गयी है
मैं कहता हूँ कुछ भी नही बदला हैं
कौन कहता है की दुनिया बदल गयी हैं
कुछ प्रमाण लेकर तो आओ !
दुनिया के बदलने की
आज भी वही भ्रूण हत्या
स्त्री का शोषण ,दोहन
गरीबों पर अत्याचार
तो ये है मेरी नयी कोशिश !
सब कहते हैं की दुनिया बदल गयी है
मैं कहता हूँ कुछ भी नही बदला हैं
कौन कहता है की दुनिया बदल गयी हैं
कुछ प्रमाण लेकर तो आओ !
दुनिया के बदलने की
आज भी वही भ्रूण हत्या
स्त्री का शोषण ,दोहन
गरीबों पर अत्याचार
Subscribe to:
Posts (Atom)
Blog Archive
-
▼
2008
(26)
-
▼
May
(22)
- राष्ट्र कैसा हो?
- http://savesuraj.blogspot.com/
- वक्त की तकदीर
- कौन छोटा कौन बड़ा
- वो लोग जिंदा नहीं हैं.
- भारत की अमीरी भाग -१
- राह से भटकते नौजवान
- भारत की अमीरी
- अब मुझे सो जाने दो
- अरसा बाद
- बांधों नही बंधू मुझे
- सोया नहीं आज सारी रात
- चौराहे पर एक रेस
- धर्मं का धुरा
- स्वागत है
- नाम जो बदल गया
- सिमटती हुई दुनिया बिखरते हुए लोग
- कैद ....
- आओ करें युद्ध की तैयारी ??
- पराये देश में ???
- मन तो है बैतलवा!!
- इक नयी कोशिश !
-
▼
May
(22)
About Me
- Mukul
- मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो सोचता बहुत हूँ पर करता कुछ भी नहीं हूँ. इस से अच्छा मेरा परिचय कुछ भी नहीं हो सकता है मैं खयालों की दुनिया में जीने वाला इन्सान हूँ . सच्चाई के पास रह कर भी दूर रहने की कोशिश करता हूँ अगर सच्चाई के पास रहूँगा तो शायद चैन से नहीं रह पाउँगा पर हर घड़ी सत्य की तलाश भी करता रहता हूँ . शायद आप को मेरी बातें विरोधाभाषी लग रही होगी पर सच्चाई यही हैं.. ये बात सिर्फ मुझ पर हीं नहीं लागू होती है शायद हम में से ज्यादातर लोगों पर लागू होती है. मैं तो गांव में पला -बढा ,शहर की बारीकियों से अनजान इक गंवई इन्सान हूँ जिसे ज्यादातर शहर के तौर तरीके पता नहीं हैं.