Wednesday, June 8, 2011

कल और आज

कल तुम चुपके से से चली आती थी
मेरी बाँहों में समा जाती थी
आज मैं बांहे फैलाये खड़ा हूँ
अब तुम मेरी बाँहों में नहीं समा रही हो,
या तो मेरी बाहें छोटी हो गयी हैं
नहीं तो आप मोटी हो गयी हैं
आप तो मोटी हो नहीं सकती हैं
मैं सिर्फ छोटा हो गया हूँ
दिल की बात नहीं बताऊंगा
क्या सोंच रहा हूँ
हाँ दोस्तों को जरूर बताऊंगा
दोस्तों
शादी से पहले वो दिया सलाई की तिल्ली जैसी थी
अब वो दिया सलाई की डिबिया बन गयी हैं
तो बताओ कैसे समायेगी मेरी बाँहों में.
पर मैं तो उसको नहीं बता सकता हूँ
क्या ये बात तुम अपनी श्रीमती को बता पाओगे
अगर हाँ तो..
पुरी दिया सलाई की डिबिया की आग के लिए तैयार रहना

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About Me

मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो सोचता बहुत हूँ पर करता कुछ भी नहीं हूँ. इस से अच्छा मेरा परिचय कुछ भी नहीं हो सकता है मैं खयालों की दुनिया में जीने वाला इन्सान हूँ . सच्चाई के पास रह कर भी दूर रहने की कोशिश करता हूँ अगर सच्चाई के पास रहूँगा तो शायद चैन से नहीं रह पाउँगा पर हर घड़ी सत्य की तलाश भी करता रहता हूँ . शायद आप को मेरी बातें विरोधाभाषी लग रही होगी पर सच्चाई यही हैं.. ये बात सिर्फ मुझ पर हीं नहीं लागू होती है शायद हम में से ज्यादातर लोगों पर लागू होती है. मैं तो गांव में पला -बढा ,शहर की बारीकियों से अनजान इक गंवई इन्सान हूँ जिसे ज्यादातर शहर के तौर तरीके पता नहीं हैं.