अपने भारत वर्ष को इंडिया से बचाओ । भारत को इंडिया से खतरा हो गया है। अपने देश का नाम अपने देश की भाषा में लो। हमारे आप के जैसे लोग अपने देश को भारत नहीं बोलते हैं , इंडिया बोलते हैं। मुझे तो अस्तित्व का खतरा नजर आता है।
कई बार तो ऐसा भी होता हैं। मेरे दोस्तों ने बोला है की मुझे हिन्दी में लिखी बातें पढ़ने में दिक्कत होती है। इस में उनकी गलती नही हैं। गलती है तो हमारी मनो-दसा की है गुरुता का आवरण के लिए हम अंग्रेजी का सहारा लेते जा रहे हैं.
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- Mukul
- मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो सोचता बहुत हूँ पर करता कुछ भी नहीं हूँ. इस से अच्छा मेरा परिचय कुछ भी नहीं हो सकता है मैं खयालों की दुनिया में जीने वाला इन्सान हूँ . सच्चाई के पास रह कर भी दूर रहने की कोशिश करता हूँ अगर सच्चाई के पास रहूँगा तो शायद चैन से नहीं रह पाउँगा पर हर घड़ी सत्य की तलाश भी करता रहता हूँ . शायद आप को मेरी बातें विरोधाभाषी लग रही होगी पर सच्चाई यही हैं.. ये बात सिर्फ मुझ पर हीं नहीं लागू होती है शायद हम में से ज्यादातर लोगों पर लागू होती है. मैं तो गांव में पला -बढा ,शहर की बारीकियों से अनजान इक गंवई इन्सान हूँ जिसे ज्यादातर शहर के तौर तरीके पता नहीं हैं.
1 comment:
गलती है तो हमारी मनो-दसा की है गुरुता का आवरण के लिए हम अंग्रेजी का सहारा लेते जा रहे हैं.
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यह केवल भाषा तक हिन् सिमित नहीं है , हम हर क्षेत्र में कॉपी-पेस्ट से काम चला रहे हैं ....यहाँ तक शौचालय के चयन में भी ...:)
आजकल एक नया प्रचलन देखने को मिल रहा है , हर कोई पाश्चात्य शैली वाला शौचालय हिन् घर में बना रहा है ..उस से अस्तर उनका बढ़ जाता है ...हद हो गयी है...
एक बात तो तय है की अगर हमें कुछ नया करना है तो अपने भाषा को विकसित करना होगा, चीन और जापान की तरह ...
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