Sunday, May 10, 2009

कुछ यूँ हीं

प्रभु से पिरितिया लग जावे रे लग जावे रे
प्रभु से पिरितिया .....
सब दुःख दूर हो जावे रे...
जब प्रभु से पिरितिया लग जावे रे
मनवा बैकुंठ बस जावे रे
जो प्रभु से पिरितिया लग जावे रे
सब तीरथ के दर्शन हो जावे रे
जब प्रभु से पिरितिया लग जावे रे
अपना -पराया का बंधन टूट जावे रे
जब प्रभु से पिरितिया लग जावे रे
गुन अवगुण यश -अपयश से दूर हो जावे रे
ओ मनवा तू भव सागर पार हो जावे रे॥
जब प्रभु से पिरितिया लग जावे रे....
जब प्रभु से पिरितिया लग जावे रे...

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About Me

मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो सोचता बहुत हूँ पर करता कुछ भी नहीं हूँ. इस से अच्छा मेरा परिचय कुछ भी नहीं हो सकता है मैं खयालों की दुनिया में जीने वाला इन्सान हूँ . सच्चाई के पास रह कर भी दूर रहने की कोशिश करता हूँ अगर सच्चाई के पास रहूँगा तो शायद चैन से नहीं रह पाउँगा पर हर घड़ी सत्य की तलाश भी करता रहता हूँ . शायद आप को मेरी बातें विरोधाभाषी लग रही होगी पर सच्चाई यही हैं.. ये बात सिर्फ मुझ पर हीं नहीं लागू होती है शायद हम में से ज्यादातर लोगों पर लागू होती है. मैं तो गांव में पला -बढा ,शहर की बारीकियों से अनजान इक गंवई इन्सान हूँ जिसे ज्यादातर शहर के तौर तरीके पता नहीं हैं.