Thursday, January 1, 2009

मृत्यु का गीत

आओ
इस नव वर्ष की शुभ वेला पर,
सब मिल कर मृत्यु का गीत गायें
नवजीवन का अलख जगाएं
अँधियारा ही सूरज को लेकर आता है
अम्बर पर ज्ञान प्रकाश फैलाता है
डरो मत आज इस नव वर्ष रुपी यज्ञ की वेदी पे ,
दे दो आहुति सारे कुविचारों की
असत अनैतिक के मृत्यु का गीत
खोले द्वार ,सदगुण के , नया विहान का , नया सूरज का
तो आओ आज हम साब मिलकर मृत्यु का गीत गायें

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About Me

मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो सोचता बहुत हूँ पर करता कुछ भी नहीं हूँ. इस से अच्छा मेरा परिचय कुछ भी नहीं हो सकता है मैं खयालों की दुनिया में जीने वाला इन्सान हूँ . सच्चाई के पास रह कर भी दूर रहने की कोशिश करता हूँ अगर सच्चाई के पास रहूँगा तो शायद चैन से नहीं रह पाउँगा पर हर घड़ी सत्य की तलाश भी करता रहता हूँ . शायद आप को मेरी बातें विरोधाभाषी लग रही होगी पर सच्चाई यही हैं.. ये बात सिर्फ मुझ पर हीं नहीं लागू होती है शायद हम में से ज्यादातर लोगों पर लागू होती है. मैं तो गांव में पला -बढा ,शहर की बारीकियों से अनजान इक गंवई इन्सान हूँ जिसे ज्यादातर शहर के तौर तरीके पता नहीं हैं.