Sunday, April 12, 2009

उन के दरबार में

मैं अक्सर लोगों से सुनता रहता हूँ की मानव के अच्छे बुरे कर्मों का फैसला उन के दरबार में होता है, हर किसी को अपने कर्मो के अनुसार फल मिलता हैं इस लोक में नहीं तो पर-लोक में , रोचक एवं रोमांचकारी लगती हैं मुझे ये बातें।
लोग कह रहें हैं तो सत्य ही होगा मैं कौन होता हूँ इस पर सवालिया निशान उठाने वाला। मैं तो इक अदना सा इंसान हूँ जो इस मृत्युलोक लोक में आया हूँ और चला जाऊंगा जो कार्य मेरे लिए नियत किए गए हैं उनको करना होगा और चला जाऊंगा॥

मैं ये सोंच रहा था हमारे यहाँ कोर्ट-कचहरी में वेटिंग लिस्ट इतनी लम्बी होती हैं । कई बार ऐसा होता हैं की कोर्ट में फैसला भी नही होता हैं , लोगों स्वर्ग भी चले जाते हैं ।

जब यहाँ इतनी लम्बी line लगी हैं तो प्रभु के दरबार में किस तरह manage होता होगा उन की कार्य प्रणाली कैसी होगी वो कैसे manage करते होंगे । क्या सब को इतनी लम्बी line में justice मिल पता होगा।

क्या वहाँ छोटे जज नही होते होंगे क्या वहाँ witness को नहीं ख़रीदा जाता होगा।

मुझे नही पता हैं । तो जो parlok हैं अगर वहां सभी निर्णय सही होता हैं तो भगवन को अपने ढेर सारे represnentatives को भेज देना होगा । ख़ास कर भारत में कई हजार , मुझे तो लगता हैं यहाँ represntatives तो ढेर सारे हैं पर या तो वो लोग बदल गएँ नहीं तो we असुरों के representatives हैं।

इक mechanism और भी हैं येहाँ से ढेर लोग इश्वार के दरबार में जाएँ और वहां की न्याय प्रणाली भी समझ कर आयेंगे ॥

आप को पता हैं iskaa सब से बड़ा phayada क्या होगा आप anumaan लगा sakete हैं क्या मुझे लगता हैं कर लेंगे।
ये साधुओं का धंधा बंद हो जाएगा जो कहेते हैं मुझे इश्वर का पता हैं क्यों की फिर तो हमारे पास भी practical expereience वाला बंद होगा॥
आप के और हमारे बीच कोई आम नर /नारी ..

1 comment:

मोहन वशिष्‍ठ said...

अरे भाई अच्‍छे-बुरे कमों का सभी का फैसला यहीं पर मिल जाता है

आप सभी को बैसाखी पर्व दी लख लख बधाईयां

About Me

मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो सोचता बहुत हूँ पर करता कुछ भी नहीं हूँ. इस से अच्छा मेरा परिचय कुछ भी नहीं हो सकता है मैं खयालों की दुनिया में जीने वाला इन्सान हूँ . सच्चाई के पास रह कर भी दूर रहने की कोशिश करता हूँ अगर सच्चाई के पास रहूँगा तो शायद चैन से नहीं रह पाउँगा पर हर घड़ी सत्य की तलाश भी करता रहता हूँ . शायद आप को मेरी बातें विरोधाभाषी लग रही होगी पर सच्चाई यही हैं.. ये बात सिर्फ मुझ पर हीं नहीं लागू होती है शायद हम में से ज्यादातर लोगों पर लागू होती है. मैं तो गांव में पला -बढा ,शहर की बारीकियों से अनजान इक गंवई इन्सान हूँ जिसे ज्यादातर शहर के तौर तरीके पता नहीं हैं.