Tuesday, July 15, 2008

अब तो रिसते हैं रिश्ते

कल तक कम से कम अपने भारतवर्ष में रिश्तों में सच्चाई तो थी अब रिश्ते भी छोटे हो गए हैं। कल तक उनका दायरा बहुत बड़ा था अब वो बहुत सिमट गए हैं ।
आप पूछेंगे कैसे ?
चलिए मैं आप को उदाहरण प्रस्तुत करता हूँ॥
अब चाचा चाची मामा मामी फुआ फूफा सब अंकल एंड आंटी हो गए हैं ...
अपने जितने भी तरह के भाई बहन होते थे सब कजिन हो गए हैं...
तो रिश्ते छोटे नही हो गए हैं उनकी परिभाषा बदल गयी हैं।
आज कल नाभिकीय परिवार का चलन भी जोर पर है।
संयुक्त परिवार अब कम नजर आते हैं॥
वृद्ध होते माँ बाप ओल्ड एज होम में नजर आते हैं।

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About Me

मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो सोचता बहुत हूँ पर करता कुछ भी नहीं हूँ. इस से अच्छा मेरा परिचय कुछ भी नहीं हो सकता है मैं खयालों की दुनिया में जीने वाला इन्सान हूँ . सच्चाई के पास रह कर भी दूर रहने की कोशिश करता हूँ अगर सच्चाई के पास रहूँगा तो शायद चैन से नहीं रह पाउँगा पर हर घड़ी सत्य की तलाश भी करता रहता हूँ . शायद आप को मेरी बातें विरोधाभाषी लग रही होगी पर सच्चाई यही हैं.. ये बात सिर्फ मुझ पर हीं नहीं लागू होती है शायद हम में से ज्यादातर लोगों पर लागू होती है. मैं तो गांव में पला -बढा ,शहर की बारीकियों से अनजान इक गंवई इन्सान हूँ जिसे ज्यादातर शहर के तौर तरीके पता नहीं हैं.