Friday, December 18, 2009

sankalit

हवा में रहेगी मेरे ख्याल की बिजली
ये मुश्ते-खाक हैं फानी , रहे रहे न रहे
एक सपने को टालते रहने से क्या होता है ?
क्या वह सुख जाता है
किशमिश सा धुप में ?
या जख्म सा पक जाता हैं
और फिर रिसा करता हैं ?

मुमकिन है वह सिर्फ लच जाता हो
भारी बोझे जैसा
कहीं वह बारूद -सा फट तो नहीं पड़ता ?

About Me

मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो सोचता बहुत हूँ पर करता कुछ भी नहीं हूँ. इस से अच्छा मेरा परिचय कुछ भी नहीं हो सकता है मैं खयालों की दुनिया में जीने वाला इन्सान हूँ . सच्चाई के पास रह कर भी दूर रहने की कोशिश करता हूँ अगर सच्चाई के पास रहूँगा तो शायद चैन से नहीं रह पाउँगा पर हर घड़ी सत्य की तलाश भी करता रहता हूँ . शायद आप को मेरी बातें विरोधाभाषी लग रही होगी पर सच्चाई यही हैं.. ये बात सिर्फ मुझ पर हीं नहीं लागू होती है शायद हम में से ज्यादातर लोगों पर लागू होती है. मैं तो गांव में पला -बढा ,शहर की बारीकियों से अनजान इक गंवई इन्सान हूँ जिसे ज्यादातर शहर के तौर तरीके पता नहीं हैं.