Sunday, November 15, 2009

अँधेरा नहीं प्रतीक है शैतानी ताकत का॥
अँधेरा प्रतीक है वर्षों से कमजोर बेसहारा वर्गों का
जिसकी प्रस्तुती ग़लत ढंग से की गयी हैं।
अगर अँधेरा न होता तो
क्या आप आराम से सो पाते
अँधेरा तो सर्वहारा वर्ग का प्रतीक हैं
आप अमीर हैं गरीब हैं वो सब को इक नजर से देखता है
आप वस्त्रो से लिपटे हैं या नंगे हैं सब पर उस की सामान दृष्टि हैं

आप नंगे हैं तो वो आप की इज्जत का ख्याल करता हैं

वर्षो से सब ने चिथडा चिथडा किया , उसकी बाहें काती उसके प्रशस्त सीने को चीर चीर कर रख दिया
फिर भी वो खामोश बैठा है, चुपचाप बैठा है
आप की सुख सुविधा के लिए॥

अँधेरा कभी भी उजालें पर आक्रमण नही करता है
वो शांत प्रवृति का वयक्ति है पर उस को जीने कौन देता है
रात लहूलुहान बैठा है चुचाप हर कोई आक्रमण कर रहा है
मत मारो अंधेरे को छोड़ दो उस को
वो अनादी काल से पीटता आ रहा hai

About Me

मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो सोचता बहुत हूँ पर करता कुछ भी नहीं हूँ. इस से अच्छा मेरा परिचय कुछ भी नहीं हो सकता है मैं खयालों की दुनिया में जीने वाला इन्सान हूँ . सच्चाई के पास रह कर भी दूर रहने की कोशिश करता हूँ अगर सच्चाई के पास रहूँगा तो शायद चैन से नहीं रह पाउँगा पर हर घड़ी सत्य की तलाश भी करता रहता हूँ . शायद आप को मेरी बातें विरोधाभाषी लग रही होगी पर सच्चाई यही हैं.. ये बात सिर्फ मुझ पर हीं नहीं लागू होती है शायद हम में से ज्यादातर लोगों पर लागू होती है. मैं तो गांव में पला -बढा ,शहर की बारीकियों से अनजान इक गंवई इन्सान हूँ जिसे ज्यादातर शहर के तौर तरीके पता नहीं हैं.