आज संपूर्ण भारतवर्ष सहमा सा है घबराया सा है धमाकों से । ये धमाके नये नहीं हैं अनादी काल कब कब कब रहे हैं।
कब नहीं हुआ है धमाका । गोरी और गजनी को कैसे भूल सकते हैं आप । कभी शालीन रहना भी अच्छा नहीं होता है । कभी हमें धर्मविरुता ले डूबी । कभी वीरता का अन्यथा दंभ । मैं भारत की दो बड़ी ऐतिहासिक भूलों की बातें कर रहा हूँ । सोमनाथ पराजय एवं गौरी को जीवनदान । शायद इन्ही गलतियों की सजा आज तक भारतवर्ष भुगत रहा है ।
इस के अलावा क्षेत्रीयता का भावः, भारत में लोग कभी ख़ुद को भारतवर्ष का मानते ही नहीं हैं। मैं बिहारी हूँ, बंगाली हूँ , उत्तर भारतीय हूँ , दक्षिण भारतीय हूँ आदि आदि । खुद को आर्यावर्त से जोड़ कर तो देखो। कुछ और दिनों तक बंगाली, बिहारी जैसी मानसकिता से अतिसय प्रेम ,भारतवर्ष को कई राष्ट्रों में बाँट सकता है ,फिर विदेशी आयेंगे और संपूर्ण भारतवर्ष गुलामी की जंजीर से जकड जाएगा
मेरी नजर में हम सभी को जहीरेले नाग की तरह हो जाना चाहिए जो अपनी सुरक्षा के लिए फुफकारता रहता हैं जिस से दुश्मन उस से दूर रहते हैं ।
Wednesday, October 1, 2008
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About Me
- Mukul
- मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो सोचता बहुत हूँ पर करता कुछ भी नहीं हूँ. इस से अच्छा मेरा परिचय कुछ भी नहीं हो सकता है मैं खयालों की दुनिया में जीने वाला इन्सान हूँ . सच्चाई के पास रह कर भी दूर रहने की कोशिश करता हूँ अगर सच्चाई के पास रहूँगा तो शायद चैन से नहीं रह पाउँगा पर हर घड़ी सत्य की तलाश भी करता रहता हूँ . शायद आप को मेरी बातें विरोधाभाषी लग रही होगी पर सच्चाई यही हैं.. ये बात सिर्फ मुझ पर हीं नहीं लागू होती है शायद हम में से ज्यादातर लोगों पर लागू होती है. मैं तो गांव में पला -बढा ,शहर की बारीकियों से अनजान इक गंवई इन्सान हूँ जिसे ज्यादातर शहर के तौर तरीके पता नहीं हैं.