जीवन एक तुला के समान हैं । सामंजस्य बिठाना बहुत आसान काम नहीं होता हैं । जीता हैं वही जीवन के ज़ंग को जिस ने सिखा हैं संतुलन बनाना ।
जिस को भी देखो कोई खुश नही हैं सब भाग दौड़ कर रहा हैं । जो आज खुश दिखता हैं वो कल रोता नजर आता हैं। चिरन्तन सत्य चिन्मय खुशी अगर मिल जाए तो वही सत्य हैं !
कभी कभी मुझे लगता हैं कि ये चिरन्तन सत्य चिन्मय खुशी की तलाश भी मृगतृष्णा है । कुछ भी निरपेक्ष नही हो सकता है, सब कुछ सापेक्ष है । आप को विवेचना करनी होगी । मानव के साथ समस्या है की point of reference ढूंढ तो लेता है पर वो "point of रेफेरेंस " भी निरपेक्ष नही होता है । इस बात से एक बात निकल कर सामने आती हैं की कुछ भी स्थिर नही है । सब कुछ गतिमान है । मुझे लगता है कि एक जो स्थिर हो सकता है वो इश्वर हो सकता है ।
अभी मैं इश्वर की विवेचना में नही जाना चाहता हूँ क्यों की मेरे चर्चा की विषय वस्तु वो नही है तो मैं ये कहना चाह रहा था कि दुःख का कारण क्या है ?
दुःख का कारण है आप की apekshaaon(Expectations) का पुरा ना होना ।
और आप का compartive study की negativity ॥
आज इतना आगे फिर बात करेंगे ॥
Saturday, August 2, 2008
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About Me
- Mukul
- मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो सोचता बहुत हूँ पर करता कुछ भी नहीं हूँ. इस से अच्छा मेरा परिचय कुछ भी नहीं हो सकता है मैं खयालों की दुनिया में जीने वाला इन्सान हूँ . सच्चाई के पास रह कर भी दूर रहने की कोशिश करता हूँ अगर सच्चाई के पास रहूँगा तो शायद चैन से नहीं रह पाउँगा पर हर घड़ी सत्य की तलाश भी करता रहता हूँ . शायद आप को मेरी बातें विरोधाभाषी लग रही होगी पर सच्चाई यही हैं.. ये बात सिर्फ मुझ पर हीं नहीं लागू होती है शायद हम में से ज्यादातर लोगों पर लागू होती है. मैं तो गांव में पला -बढा ,शहर की बारीकियों से अनजान इक गंवई इन्सान हूँ जिसे ज्यादातर शहर के तौर तरीके पता नहीं हैं.